ट्रैन में चाची की हूत में हण्ड घुसाते ही वो उछल उछल हुदवाने लगी
काशी का आप सभी को बहुत बहुत नमस्कार. आज मैं आपको अपनी एक गुप्त स्टोरी सुना रहा हूँ.
मेरी चाची श्रीमती शाकुंतला देवी और मैं रामेशवरम की यात्रा पर निकले थे. चाचा हमेशा की तरह अपने दवा के कारोबार में डूबे थे. जब चाची ने उसने कहा की भतीजा काशी रामेश्वरम जा रहा है तो उन्होंने तुरंत पैसे दे दिया और मेरे साथ जाने को कहा.
मैं अपनी खूबसूरत चाची की लेकर ट्रेन में बैठ गया. फर्स्ट क्लास की २ सीट आमने सामने मैंने बुक करवा दी थी. मन में ख्याल था की चाची जैसी माल अगर सफर में मेरे साथ होंगी तो बहुत मजा आएगा और सफर आराम से कट जाएगा.
दोस्तों यही सोचकर मैं अपनी प्यारी चाची से पूछा था. मेरी चाची बहुत ही खूबसूरत थी. होदने लायक मस्त कडक माल थी. उनकी मैं क्या तारीफ़ करू. जी तो करता है की उनकी तस्वीर आप लोगों की दिखा दी. चेहरा उनका बहुत ही गोरा था, जब चाची साड़ी पहनती थी तो उनका गोरा गोरा पेट और नाभि दूर से चमकती थी.
चाची की गाल बहुत ही गोरे थे. जब वो कुछ कहती थी और हंसती थी वो फूल झड़ते थे. दोस्तों चाची को मैं एक बार देख लेता था तो तुरंत मेरा हण्ड खड़ा हो जाता था. हजारों बार मैंने उनको सोचकर मुठ मारी थी.
इसलिए आज रामेश्वरम की यात्रा पर मैं उनको अपने साथ ले आया था. मैंने चाची का सामान सिट के नीचे तरीके से लगा दिया. चाची मेरे सामने ही बैठ गयी. कुछ देर में इंजन से सीटी दी और ट्रेन चल पड़ी.
‘काशी बेटा!! जरा बैग से पानी की बोतल निकालना. गला सूख रहा है!” चाची बोली.
मैं तो उनको हमेशा से ही बहुत पसंद करता था. मैंने तुरंत बोतल निकालकर दी. चाची अपने नर्म गुलाबी होठों से लगाकर पानी पीने लगा. मन हुआ की अपनी चाची की इसी ट्रेन में गिराकर होद लूँ और इनकी हांड भी मार लूँ.
पर दोस्तों, चाची का बहुत सम्मान करता था. ट्रेन चल पड़ी और मैं और चाची हल्के हल्के हिलने लगे. मैंने दरवाजा बंद कर लिया. चाची मेरे सामने वाली सिट पर बैठी थी. वो सच में बहुत कमाल की लग रही थी.
‘क्यों बेटा काशी !! कोई लडकी पटाई की नहीं??’ चाची मुस्कुराते हुए मुझे छेड़ने लगी.
‘कहाँ चाची??? एक पटाई भी थी पर जब तक कुछ करने का मौका मिलता उसकी शादी हो गयी’ मैंने कहा. चाची समझ गयी की मेरा इशारा किस तरह था.
कुछ करने से मतलब लडकी को होदने से था. वो थोडा झेप गयी. कुछ देर बाद ट्रेन से १०० १२० किमी की रफ्तार पकड़ ली. थोड़ी बाते करने के बाद हम दोनों को नींद आने लगी.
बार बार मेरा मन चाची को होदने का कर रहा था. फर्स्ट क्लास होने के नाते हम दोनों को तकिया कम्बल सब मिला हुआ था. चाची अपनी सीट पर लेट गयी और मैं भी अपनी सीट पर ठीक उनके सामने ही लेट गया.
चाची के ब्लाउस के गले से उसकी मस्त मस्त संगमरमरी छातियाँ दिख रही थी. मेरा हाथ मेरी पैंट पर चला गया. मेरा ७ इंच का हण्ड खड़ा था. वो चाची की गुलाबी हूत को मारना चाहता था. मैंने रेलवे का कम्बल खीच लिया. पैंट की बेल्ट खोल दी. पैंट खोलकर मेरा हाथ मेरा मोटे हण्ड पर चला गया. मेरे सामने मेरी मस्त चाची थी. ट्रेन के हिलने से शाकुंतला चाची की दूध भी हिल रही थी. वाकई ट्रेन बहुत तेज दौड़ रही थी.
मैं अपने हण्ड को फेटने लगा. मेरा दिल में, दिमाग में बस एक की तस्वीर थी. चाची और उनकी चिकनी चमेली वाली हूत. उनको कैसे कब होदना था ये बात मैं नहीं जानता था, हाँ पर ये बात साफ थी की इस ७ दिन की यात्रा में एक बार तो मुझे चाची को होदना ही है.
खैर अभी मैंने कोई रिस्क लेना सही नही समझा. मेरी खिड़की से मस्त हवा चल रही थी. इसलिए मुझे भी नींद आने लगी. मैंने एक नजर शाकुंतला चाची की तरह वो गहरी नीद में सो रही थी. ट्रेन बहुत तेज दौड़ रही थी. खिड़की से सुहावनी हवा अंदर हमारे केबिन में आ रही थी. चाची के ब्लाउस में हवा जा रही थी. उसकी गोरी बर्फी से संगमरमरी दूध मुझे साफ साफ दिख रही थी. मैं कम्बल को ओढ़ कर जोर जोर से अपना मोटा हण्ड फेटने लगा. फिर मैं झड गया.
दोस्तों सवा घंटे बाद मेरी नींद टूट गयी. देखा चाची का कम्बल नीचे फर्श पर गिरा हुआ था. शाकुंतला चाची का ब्लाउस पता नही कैसे उपर चढ़ गया था और उनकी दाहिनी चूची बिलकुल बाहर निकल आई थी. लग रहा था की कोई पीला पका आम मुझे चिढ़ा रहा है की पकड़ सको तो पकड़ लूँ. मैं वो आम देखकर पागल हो गया. मैं उठा और सीधा जाकर चाची के बगल लेट गया.
उनके दाहिने दूध को मैं मुँह में भर लिया पीने लगा.
शाकुंतला चाची सोती ही रह गयी. उनकी छाती बहुत ही गोरी, बहुत ही सुंदर थी. दूध के चारों तरह काले काले गोल गोल घेरे थे जो मेरे हण्ड को पुकार रहे थे. मेरे हाथ चाची की दूध पर चले गये. मैं जोर जोर से उसे दबाने लगा. फिर पीने लगा. इसी सब में चाची की आँख खुल गयी. चाची कुछ कहना चाहती थी पर मैंने झट से उनके मुँह पर अपना मुँह रख दिया.
उनको कुछ नही बोलने दिया. उनके पतले पतले होंठों को मैं अपने होंठों में भर लिया और पीने लगा. चाची जब अपने हाथ से मुझे रोकने लगी तो मैंने उनके हाथ को कसके पकड़ लिया. मैं अपनी उस चाची के शहद से मीठे होठों को पी रहा था, जिनकी हूत मैं हमेशा से मारना चाहता था. चाची कुछ कहना चाह रही थी. सायद मुझे रोकना चाहती हों. पर मैं किसी शिकारी लोमड़ी की तरह उनके मुँह को दबाकर रखा था.
उनके होंठ को पी रहा था. 15 16 मिनट बाद चाची से सरेंडर कर दिया. और मुझे अपने होंठ पिलाने लगी. मेरा हाथ अब खुले तौर पर उनकी छातियों पर चला गया. मैंने हाथ से जोर जोर से शाकुंतला चाची की छातियाँ दबाने लगा. जोर जोर से मसलने लगा.फिर मैंने वो रेलवे वाला कम्बल हटा दिया. चाची का पल्लू हटा दिया. ब्लाउस को एक एक बटन खोल दी. ब्लाउस खुलते ही मेरी मस्त हुदासी प्यारी चाची के २ बला के खुबसूरत कबूतर मेरे सामने थे.
मैं किसी तरह जतन करके उनकी पीठ में हाथ डाला और ब्रा के चुस्त हुक जुगाड़ करके खोले. बड़ी मेहनत नही चाची की ब्रा उतारने में. पर दोस्तों जैसी ही मैंने ब्रा हटाई शाकुंतला चाची के २ बला के कबूतर मेरे सामने थे. आज तक इन कबूतरों को मैं ब्लाउस के उपर से देखते आया था. पर आज ये पहली बार था की हुदासी चाची के दोनों कबूतर को मैं आपने सामने देखा था.
मैं बड़ी देर तक अपनी हुदक्कड़ चाची के कबूतरों को देखता रहा. सच में भगवान ने मेरी चाची को बड़ी फुर्सत में बनाया था. मैं हाथ से चाची के दूध दबाने लगा. फिर पीने लगा. मेरी पैंट में मेरा हण्ड फुफकार मार रहा था. चाची को होदने को मैं बेताब था. पर अभी तो उनके स्वादिस्ट दूध पीने का समय था. फिर मैं झुककर शकुन्तला चाची के कबूतर पीने लगा.
सच में पलभर को मुझे लगा की मैं स्वर्ग पहुच गया हूँ. पटरी पर तेज दौड़ती ट्रेन. खिड़की से आती हवा. और मेरे केबिन में मेरी नंगी चाची. ये किसी बड़ी पार्टी से कम नहीं था. सूरज से आती रोशनी में चाची की सफ़ेद दूध और भी जादा सफ़ेद लग रही थी. मैं जीभ को घुमा घुमा कर उनके दूध पी रहा था. निपल्स के चारो तरफ काले काले घेरे तो बिलकुल कुदरत का करिश्मा लग रहे थे.
मैं जोर जोर से हाथों से उनके बूब्स दबा रहा था. और पी रहा था. फिर मैं चलती ट्रेन में शाकुंतला चाची का पेटीकोट उपर उठा दिया. चाची से गुलाबी रंग की पेंटी पहनी हुई थी. मैंने जादा कुछ नही सोचा. पैंट खोल के हण्ड निकाल लिया और चाची की हूत पर उनकी पेंटी को किनारे खिसका दिया.
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मुझे चाची की मस्त मस्त लाल लाल हूत मिल गयी. मैं हाथ से हण्ड उनकी हूत में दे दिया और कमर चला चला कर होदने लगा. चाची का मुँह उतेज्जना से खुल गया. वो ट्रेन की चट को देखने लगी. मैं अपनी प्यारी चाची को खाने लगा. धीरे धीरे मेरा ७ इंच के हण्ड ने शाकुंतला चाची की उसी तरह दौड़ने लगा जैसे ट्रेन लोहे की पटरियों पर सरपट सरपट दौड़ रही थी. ये वाकई एक यादगार अनुभव था. चलती ट्रेन में चाची की हूत मारना एक सुहाना सपना था जो आज साकार हो रहा था. मैं फट फट करके अपनी प्यारी चाची को हण्ड खिला रहा था. कहीं मैं उनकी लाल लाल हूत मारते मारते नीचे गिर न पडूं, इसके लिए मैं अपना बायाँ पैर जमीन में रख लिया था.
बैठकर शाकुंतला चाची को होद रहा था. चाची मुँह से गरम गर्म आहें भर रही थी. फिर वो बहुत जादा हुदासी हो गयी. ‘होद बेटा!! होदा डाल आज. तेरे चाचा को मुझे खा ही नही पाते है. होद बेटा होद!! मैं बिलकुल गुस्सा नहीं करुँगी!!’ शाकुंतला चाची बोली. मैं बहुत जोश में आ गया. बहुत जोर जोर से चलती ट्रेन में चाची की हूत में अपने हण्ड की ट्रेन मैं दौड़ाने लगा. चलती ट्रेन में चाची हुदने लगी. फिर कुछ समय बाद मैं हण्ड निकाल लिया और उनकी सावली पर बहुत ही मीठी हूत के उपर अपना माल गिरा दिया. मैं और चाची हम दोनों ही हाफ़ने लगे. चाची ने मेरे सफ़ेद गाढे माल को किसी तेल की तरह अपनी हूत पर ही चुपड़ लिया और मालिश करने लगी. मुझे शाकुंतला चाची का ये अंदाज बहुत पसंद आया.
ट्रेन रामेशवरम की ओर सरपट सरपट दौड़ती रही. मैंने चाची को बाहों में भर लिया था. एक बार फिर से उनके लाल लाल होठों को मैं पी रहा था. चाची की बगलों को भी मैं सूंघ रहा था. बड़ी मीठी जनाना खुसबू मेरे नाक में जा रही थी. शाकुंतला चाची को उनकी चिकनी नंगी पीठ से मैंने बाहें फैलाकर मैंने कस रखा था. वरना वो सीट से नीचे गिर जाती.
‘भतीजे!! आज हम चाची भतीजे के बीच में जो हुआ उसको सीक्रेट ही रखना. अगर तुम्हारे चाचा की हमारे हुदाई कांड के बारे में पता चल गया तो मुझे घर से निकाल देंगे’ चाची बोली
‘चाची जी!! तुम तनिक भी फिकर मत करो!! हमारे हुदाई के बारे में किसी को पता नहीं चलेगा’ मैंने कहा और फिर से अपनी प्यारी हुदकक्ड चाची के होंठ और उनकी भीनी भीनी साँसों को मैं पीने लगा.
‘चाची!! जल्दी से कपड़े पहन लो. टीटी आने वाला है! वरना उसको भी मालूम पड़ जाएगा की तीर्थ यात्रा के नाम पर यहाँ हुदाई यात्रा चल रही है!! ’ मैंने कहा. कुछ देर बाद ही टीटी ने दरवाजा खटखटाया.
‘टिकट??’ टीटी बोला
मैंने टिकट दिखाए. वो पेन से टिक करके चला गया. मैंने फिर से चाची की बाहों में भर लिया. उनके दूध दाबने लगा. मैं चाची की इस बार हांड मारने के मूड में था. मैंने फिर से शाकुंतला चाची को नंगा कर लिया. ‘चाची !!चल तेरी हांड मारता हूँ!!’ मैंने कहा. दोस्तों, मेरी चाची जरुरत से जादा सीधी निकली. चाची अपने दो हाथ और पैरों पर कुतिया बन गयी.
मैंने शाकुंतला चाची के गोल गोल लपर लपर करके गोरे छूतड चूम लिए. बला के खुबसुरत छूतड थे उनके. मैंने लपलपाते छूतड को खोलकर उनकी हांड देखी. बिलकुल कुवारी कसी हांड थी.
‘ये क्या चाची? चाचा तुम्हारी हांड नही लेते है??’ मैंने आश्चर्य से पूछा.
‘कहाँ बेटा! उनको अपने दवा के कारोबार से ही छुट्टी नही है!! बेटा आज तुमने मेरी बुर होदी है तो लगे हाथों मेरी हांड भी होद डालो!’ शाकुंतला चाची बोली. मैं जीभ लगाकर चाची की मस्त मस्त लाल लाल हांड पीने लगा. दोनों गोल मटोल पुट्ठों के बीच से एक लाइन सी बनी हुई थी,
जो हांड के छेद से जाते हुए शाकुंतला चाची की हूत में जाती थी. और उनकी हूत को २ भागों में विभाजित करती थी. मैं इसी लाइन पर जीभ से चाटने लगा और अपनी चाची की हांड पीने लगा. फिर मैंने ऊँगली में ढेर सारा थूक लिया और हांड के छेद में ऊँगली पेल दी. चाची उछल पड़ी. ‘बेटा आराम से मेरी हांड होद!!’ वो बोली. मैं जोर जोर से उनकी हांड ऊँगली से होदने लगा. ट्रेन सरपट सरपट पटरियों पर दौड़ रही थी. मैं जल्दी जल्दी चाची की हांड में ऊँगली दे रहा था.
आआआआआ हा हाहा उई उई माँ माँ दैया !! हाय दैया !! करके शाकुंतला चाची गर्म गर्म सिस्कार भरने लगी. ‘ले रंडी!! ले!! इन ७ दिनों के लिए चाची तू मेरी रंडी बन जा!!” मैं यौन उतेज्जना में कहा. और जोर जोर से चाची की हांड फेटने लगा. फिर मैंने अपना ७ इंच का मोटा हण्ड उनकी हांड में दे दिया. जब हण्ड नखरे होदने लगा तो मैंने मुँह से खूब सारा थूक हांड के छेद पर थूक दिया.
मेरा निशाना बिलकुल सही बैठा. शाकुंतला चाची की हांड गीली हो गयी. मैंने हण्ड को हाथ से पकड़कर ज्यूही धक्का मारा हण्ड चाची की हूत में समा गया. ‘अआहाआह!! आह!!’ वो करने लगी. मैं उनकी हांड होदने लगा. दोस्तों, कुछ देर बाद उनकी हांड खुल गयी. अंदर से हांड की दीवारे गीली और चिकनी हो गयी. मैं मजे से शाकुंतला चाची की हांड होदने लगा. कुछ देर बाद वो भी बड़े जोश में आ गयी.
‘होद! भतीजे होद!! अपनी प्यारी चाची की हांड को मजे से होद!!’ शाकुंतला चाची बोली. मैं हाथ से उनके गोल मस्त बला के सुंदर पुट्ठों पर जोर जोर से चांटे मारने लगा. जहाँ पड़ता मेरी पाँचों उँगलियाँ छप जाती. ‘ले छिनाल!! ले! आज जी भरके अपनी हांड हुदाई करवा ले. क्यूंकि चाचा तो कभी तेरी हांड मारेगा नही. उसको तो पैसा कमाने से फुर्सत नही है!!’ मैंने कहा. दोस्तों, फिर हम चाची भतीजा शांत होकर हुदाई पर ध्यान देने लगे.
मेरा लौड़ा चाची की हांड मजे से लेने लेगा. कुछ देर बाद मैंने हण्ड बाहर निकाला तो चाची की हांड का छेद काफी मोटा हो गया था. मैंने फिर से हण्ड उनकी हांड में डाल दिया और होदने लगा. चाची के लटकते आमों पर मेरे हाथ जा रहे थे. मैं उनके आम को हाथ से जोर जोर से दबा रहा था. कुछ देर बाद चाची की हांड में बहुत जोर का दर्द उठा. मैंने फट फट करके हांड होदते होदते उनके मुँह पर हाथ रख दिया जिससे वो चिल्ला न सके. मैं जोर जोर से शाकुंतला चाची की हांड लेने लगा. दोस्तों, फिर कुछ देर बाद मैंने हण्ड उनके छेद से बाहर निकाल लिया और हांड के छेद में माल गिरा दिया.
चाची मेरी सेवा पर बहुत खुश थी.
‘काशी बेटा!! तू तो बड़ी अच्छी हांड मारता है’ चाची बोली. दोस्तों, अगले दिन पुरे १८ घंटों की यात्रा करके मैं अपनी प्यारी हुदक्कड़ चाची को लेकर रामेश्वरम पहुच गया. वहां हम दोनों होटल में एक कमरा लिया. फिर शाम को हम मंदिर में दर्शन करने लगे. लौटते वक्त फिर से मैं फर्स्ट क्लास के डिब्बे में टिकट ले लिया. और आते समय फिर से चलती ट्रेन में चाची की हूत और हांड में गहराई तक हण्ड दिया और होदा.
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