भरी दोपहरी में आंटी से फैक्स

भरी दोपहरी में आंटी से फैक्स    यह बात पिछले साल की है, मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं, उनका नाम उर्वशी था, सचमुच की उर्वशी थी। खूब भारी बाल, रंग सांवला, गालों पर लाली, गोल सुगढ़ पैर और पतली कमर! मैं उन पर मरता था और हर वक्त उनसे बातें करने की फिराक में रहता था। वे भी खुल कर बातें करती थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। उनकी एक लड़की तीन साल की थी और बेटा अभी नौ महीने का हुआ था। मैं रोज कुछ न कुछ नई तरकीब करता उन्हें पटाने की लेकिन तभी उन्होंने मकान बदल लिया। दरअसल उनके पति का आफिस यहां से काफी दूर था। यह उनका अपना मकान था, पर उन्होंने दूसरा मकान किराए पर लेकर वहीं रहने का फैसला किया और मेरे अरमानों पर पानी फिर गया। इस बात को चार-पांच दिन हो गए थे। पड़ोस में मेरी ज्यादा लोगों से नहीं बनती थी, लड़कियों से तो खास कर कम ही बात करता था इसलिए आंटी के जाने से कुढ़ता रहता और उनके नाम पर दिन में कई कई बार मुठ मारकर खुद को शांत करता। एक दिन तो पड़ोस की एक और आंटी ने मुझे लगभग रंगे हाथ पकड़ ही लिया था। हुआ यूं कि दोपहर के समय घर में कोई नहीं था, मैं पिछले कमरे की

तीन बच्चों की माँ को संतुष्ट किया

तीन बच्चों की माँ को संतुष्ट किया



हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सेंडी है, उम्र 22 साल और में चंडीगढ़ में रहता हूँ, मेरी हाईट 5 फुट 9 इंच है और रंग गोरा, सामान्य बॉडी है. 
ये कहानी उस समय की है जब में IInd ईयर कर रहा था तो हमारे मौहल्ले में एक नई फेमिली रहने आई. उस फेमिली में 5 लोग थे अंकल, आंटी, और उनके तीन बच्चे, आंटी की उम्र करीब 30 साल और उनके पति की उम्र 40 साल के करीब थी और बच्चों की उम्र 7 साल, 5 साल, और 3 साल थी.
जब उन्होंने शिफ्ट किया तो में आंटी को देखता ही रह गया. फिर में रोज सुबह शाम उनकी झलक पाने को तैयार रहता था. अंकल अक्सर अपने बिज़नस के लिए बाहर जाते रहते थे. फिर कुछ दिन के बाद जब में अपनी छत पर खड़ा आंटी को देख रहा था तो उसने मुझे नोटीस किया और मुझे देखकर हंस पड़ी तो दोस्तों हंसी तो फंसी आप जानते ही हो.
फिर धीरे-धीरे इशारे होने लगे और कुछ दिन ऐसे ही कट गये. फिर उसके बाद एक दिन मैंने इशारो में आंटी का फोन नम्बर माँगा तो उन्होंने एक स्लिप पर लिखकर मुझे बाहर फेंक दिया और उसके बाद हमारी फोन पर बात होने लगी.
फिर वो दिन आया, जब आंटी ने मुझे बताया कि उनके पति कल टूर पर जा रहे है तो मैंने उनसे पूछा कि में आ जाऊं तो उन्होंने हाँ कहा और में खुशी से पागल हो गया. फिर में अगले दिन खंडोम लेकर रात होने का इंतज़ार करने लगा, फिर में रात के 11 बजे उनके घर गया और जल्दी से अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा अन्दर से बंद किया. अब एक रूम में उनके बच्चे सो रहे थे तो फिर हम दूसरे रूम में चले गये.
अब वहाँ जाते ही मैंने उन्हें पकड़ कर एक हीस किया और फिर थोड़ी बातें हुई. जब आंटी ने नाइटी पहनी थी और हीचे कुछ नहीं पहना था, ना ब्रा और ना संटी, अब शायद वो पहले से ही हूदने के लिए तैयार थी और बातों-बातों में उन्होंने मुझे बताया कि उसका पति उसे संतुष्ट नहीं कर पाता है, इसलिए उसने काफ़ी सोचने के बाद मुझे यहाँ बुलाया है.


फिर क्या था? मैंने भी उसे पकड़ कर किस करना शुरू किया और कहा कि आज के बाद में हूँ ना. फिर हम किस करते हुए एक दूसरे की ज़ुबान भी चाट रहे थे और साथ ही में उसकी नाइटी के ऊपर से कभी लेफ्ट तो कभी राईट दूध दबा रहा था.
अब आंटी मौन कर रही थी और फिर मैंने उसे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया और साथ ही खुद भी लेटकर अपना एक हाथ उसके दूध पर और दूसरा हाथ उसकी छुत पर ले गया और रगड़ने लगा. अब 10 मिनट तक उसकी बॉडी मसाज करते हुए हम दोनों गर्म हो गये थे. फिर हम खड़े हो गये और एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे.
अब मेरा हंड जो कि 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, अपने पूरे रूप में आ चुका था. अब हम दोनों के नंगे होते ही में आंटी की छुत देखकर शॉक हो गया, उनकी छुत बिल्कुल क्लीन थी और दूध साईज़ 34 थी. अब आंटी ने मेरा हंड देखकर कहा कि क्या मस्त बड़ा और मोटा हंड है? में कब से ऐसा ही हंड चाहती थी. फिर क्या था? मैंने उन्हें लेटाकर किस करना शुरू किया और अब किस लिप से स्टार्ट होकर पूरे चेहरे से होते हुए में उनके दूध पर आया और एक हाथ से दूध को दबाते हुए दूसरे को चूसने लगा.
अब आंटी अहह अहह की आवाज़ करने लगी और कहने लगी और चूसो और चूसो. फिर में थोड़ा नीचे बढ़ा और उनकी नाभि और पेट पर किस करने लगा और साथ ही छुत रब करने लगा और साथ ही अपनी एक उंगली उनकी छुत के छेद में डालने लगा. अब आंटी की छुत पूरी गीली हो चुकी थी तो मेरी उंगली आसानी से अंदर जाने लगी. फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उनकी छुत में डाल दी.
उसके बाद में आंटी को उंगली से पेलता रहाअ और अब आंटी ज़ोर से, ज़ोर से, आहह आहह की आवाज़ निकालती रही. फिर मैंने अपना मुँह आंटी की छुत पर लगा दिया और काटने लगा. अब में अपनी जीभ को उनकी छुत की गहराई में डालने लगा था.
अब आंटी पागल सी होने लगी थी, चाटो और चाटो कहने लगी. फिर आंटी झड़ गयी और उनका सारा पानी मेरी आँखों के आगे निकल गया, फिर वो निढाल हो गयी. फिर में उठा और अपना हंड उनके हाथ में दे दिया तो अब वो उसे हिलाने लगी और आगे पीछे करने लगी.
अब मेरा हंड भी अपने पूरे उफान पर था. फिर मैंने उन्हें हंड चूसने को कहा तो आंटी ने मना कर दिया, लेकिन मेरे मनाने पर वो मान गयी और चूसने लगी. अब मेरा हंड अपने मुँह में लेते ही मेरा जोश और बढ़ने लगा और करीब 5 मिनट में ही मेरा निकलने लगा तो उन्होंने मेरा हंड अपने मुँह से निकाल कर मेरा सारा पानी अपने दूध पर गिरा लिया.
फिर हम दोनों लेट गये और कुछ मिनट आराम करने के बाद आंटी ने मेरा हंड पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया. अब मेरा हंड फिर से जंग के लिए खड़ा हो गया था, अब में भी इस बीच आंटी की छुत में उंगली कर रहा था और साथ ही साथ दूध मसाज कर रहा था. फिर आंटी उठी और मेरे ऊपर आकर बैठ गयी और कहा कि अब मुझे हूदने का सुख दे दो और ये कहते ही मेरा हंड पकड़ कर अपनी छुत के छेद पर लगाकर धीरे-धीरे बैठने लगी.
अब उनकी छुत गीली होने की वजह से मेरा हंड आसानी से छुत में अंदर जाने लगा और आहह और सस्सिईईई की आवाज़ करते हुए आंटी ने मेरा पूरा हंड अंदर ले लिया. अब मेरा हंड उनकी बच्चे दानी को टच करने लगा था, फिर उन्होंने उछलना स्टार्ट कर दिया और मैंने भी उनकी कमर पकड़ कर नीचे से लय मिला दी. फिर धीरे-धीरे हम दोनों ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब आंटी के दूध हवा में लहरा रहे थे और अब यह देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने आंटी को पकड़ कर नीचे पलट दिया. अब मैंने उनकी जाँघो के बीच में आकर उनके दूध पकड़ कर शॉट लगाने शुरू ही किए थे कि आंटी झड़ गयी और मुझे कस कर पकड़ के ढीली पड़ गयी, लेकिन में अभी काफ़ी दूर था, फिर में अपने शॉट एक ही स्पीड पर रखते हुए उन्हें हिस करता हुआ उनके दूध मसल रहा था तो अब आंटी फिर से जोश में आ गयी थी.
फिर में उठा और उन्हें होंड़ी बनने को कहा तो वो जल्दी से होड़ी बन गयी. फिर मैंने पीछे से उनकी छुत में हंड डाला तो वो हल्के दर्द के साथ मेरा साथ देने लगी. फिर करीब 5 मिनट और शॉट लगाते हुए मैंने अपना सारा पानी अंदर ही छोड़ दिया और मेरे साथ ही आंटी भी झड़ गयी. अब वो मेरे गर्म पानी को अंदर महसूस करके संतुष्ट हो गयी थी.
फिर हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बगल में लेट गये. फिर कुछ देर के बाद मुझे याद आया कि में खडोम लेकर आया था तो जब मैंने उसे बताया तो उसने कहा कि कोई बात नहीं में पिल ले लूँगी और जो मज़ा बिना खडोम के है वो खडोम में कहाँ और मुझे हीस करने लगी. फिर उसके बाद मैंने उसे फिर एक बार होदा और उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता है तो हम हूदाई करते है. अब ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा और फिर अचानक से वो वहाँ से चले गये. फिर कुछ दिन तक आंटी का फोन आया और फिर वो भी बंद हो गया.

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