कज़िन बहन के साथ सेक्स

कज़िन बहन के साथ सेक्स कजिन सिस फक स्टोरी में लॉकडाउन में मुझे चूत की कमी हो गयी. मेरी चचेरी बहन मेरे साथ थी. मैंने उसे चोदने की कोशिश की तो वह रूठ गयी. तो मैंने उसे कैसे पटाया? मेरी चचेरी बहन का नाम स्वाति है उसे सब लोग प्यार से मुक्कू कहते हैं. वह बड़ी ही हॉट लगती है. उसका साइज़ कुछ इस तरह से है. उसकी कमर 30 और बूब्स का साइज़ 34 है, जबकि गांड 36 की है. उसको मैंने पहली बार गांव में नहाते हुए देखा था. वहीं से उसे लेकर मेरी वासना शुरू हुई थी. मेरे दिमाग में उसकी जवानी को चखने का कीड़ा कुलबुलाने लगा था. ये कजिन सिस पुसी फक स्टोरी मेरी और स्वाति की चुदाई की है. यह उस वक्त की बात है जब वह पटना पढ़ने आई थी. मेरे दिमाग में उसे लेकर वासना तो भरी ही थी तो लगा कि अब तो इसे जब चाहे चोद लूँगा. लेकिन किस तरह से उसके साथ सेक्स करूं, यह समझ नहीं आ रहा था. उन्हीं दिनों कोरोना वायरस फैला तो हम दोनों अपने घर में ही लॉक हो गए. लॉकडाउन के कारण मैं घर पर ही रह कर अपना काम करने लगा था. मेरे सामने मेरी चचेरी बहन भी अपनी पढ़ाई करती रहती थी. मुझको सेक्स की बहुत चुल्ल रहती थी. मैं सेक्...

हाय रे… वो तो मेरा भाई निकला! (सच्ची कहानी)


हाय रे… वो तो मेरा भाई निकला! (सच्ची कहानी)


यह सच्ची कहानी मेरी और मेरे सगे भाई के साथ फैंस की है। मेरा नाम पूजा है, मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ती हूँ। मेरा एक भाई है जिसका नाम मनीष है। मनीष कॉलेज में बी ए का छात्र है। मेरे मम्मी पापा दोनों प्राइवेट नौकरी करते हैं। हमारा घर दिल्ली में कालका जी में है।

मेरा बदन गोरा चिट्टा और छरहरा है, पतली और खूबसूरत होने के कारण मेरे स्कूल और मोहल्ले के कई लड़के मुझ पर लाईन मारते थे, पर मैं किसी को घास नहीं डालती थी और अपनी पढ़ाई में ध्यान देती थी।
हालांकि मेरा भी मन फैंस के लिए करता था, पर मैं अपने ऊपर काबू रख कर अपनी जवानी की दहलीज़ पर सीढ़ियां चढ़ रही थी। लेकिन दिन पर दिन मेरी वासना बढ़ती जा रही थी और मैं अपनी छूत में उंगली डाल कर अपनी आग को कुछ हद तक शांत कर लेती थी।

मेरी सारी सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे, पर मैंने किसी को अपने नज़दीक नहीं आने दिया, जिसका अंजाम मैं भुगत रही थी।
मैं स्कूल की बस से जाती थी। कई बार स्कूल की छुट्टी देर से होती थी और मेरी स्कूल बस मिस हो जाती थी और मुझे लोकल बस से घर आना पड़ता था। वो बस खचाखच भरी होती थी और उसमें मेरे भाई के कॉलेज के भी लड़के होते थे। मेरा भाई भी कई बार उसी बस में होता था।

उस बस में कई बार भीड़ का फायदा उठा कर लड़के मेरी दूध दबा देते थे और मेरी स्कर्ट के ऊपर से मेरे हुतड़ सहला देते थे इससे मुझे बहुत मजा आता था, मैं इसका ज़रा भी विरोध नहीं करती थी बल्कि मैं जानबूझ कर कॉलेज के लड़कों के बीच में खड़ी हो जाती थी।
लड़कों के छेड़ने से मेरा कई बार छूत से पानी छूट जाता था।

एक दिन मैंने अपनी सहेली के पास फैंस की किताब देखी, वो उसे छुपा कर स्कूल में लाई थी। मैं किताब में फैंस करते हुए लड़के लड़कियों के फ़ोटो देख कर बहुत गर्म हो गई।

उस दिन भी मेरी स्कूल की बस छूट गई क्योंकि मेरी एक्स्ट्रा क्लास थी। मैं लोकल बस में जाने के विचार से ही उत्तेजित हो गई और मेरी छूत में खुजली होने लगी।
मुझे आज एक आईडिया आया, मैं स्कूल के वाशरूम में गई और अपनी पेंटी उतार कर अपने बैग में रख ली। अब मैं स्कर्ट के अन्दर से नंगी थी।

मैं इसी तरह से अपने स्कूल के बाहर आ गई और बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार करने लगी। जो बसें भरी हुई नहीं थीं, मैं उनमें नहीं चढ़ी।
आखिकार एक बस आई जिसमें कॉलेज के लड़के लदे हुए थे, मैं उस बस में चढ़ गई और लड़कों के बीच में खड़ी हो गई। मेरे घर तक का रास्ता आधे घंटे का था।
अचानक मैंने महसूस किया कि कोई लड़का मेरे पीछे सट कर खड़ा हो गया है।
मैं मन ही मन मुस्कुराई।
भीड़ होने की वजह से मैं उसका चेहरा नहीं देख पाई क्योंकि वो मेरे पीछे खड़ा था। ना ही वो मुझे देख पाया क्योंकि मेरा चेहरा आगे की तरफ था।

मैंने देखा कि उसका हंड खड़ा हो गया है और मेरे स्कर्ट के ऊपर से मेरे हुतड़ों की दरार में घुस रहा है।
मैंने कोई हरकत नहीं की और चुपचाप उसके अगले कदम की प्रतीक्षा करने लगी। फिर उसने मेरे मेरे नितम्बों को सहलाना शुरू कर दिया।
वो मेरी स्कर्ट के ऊपर से मेरे हुतड़ों को दबा रहा था।

मैं अब गर्म होने लगी। जब मैंने कोई विरोध नहीं किया तो उस लड़के की हिम्मत बढ़ गई और उसने पीछे से मेरी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया।
अंदर मैंने पेंटी नहीं पहन रखी थी, वो मेरे नर्म नर्म हुतड़ सहलाने लगा, मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी।
जब उसने मेरे हुतड़ सहलाये तो उसे पता चल गया कि मैंने पेंटी नहीं पहनी हुई है। अब उसका हाथ सीधे मेरी छूत पर चला गया।

उसने मेरी छूत को सहलाना शुरू कर दिया जिससे मेरी सिसकारियां छूटने लगीं। लड़का मेरे पीछे से मेरे कान में फुसफुसाया- पूरी तैयारी करके आई हो मेरी जान?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

वो मेरी पीछे से मेरी छूत में उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगा। मैं अब छूती तरह से उत्तेजित हो रही थी। यह मेरा पहला अनुभव था कि कोई लड़का पहली बार मेरी छूत से खेल रहा था वो भी भरी हुई बस में!
मैंने अपनी टांगें खोल दीं ताकि वो आसानी से मेरी छूत में उंगली कर सके। मैं वासना से भर गई थी और मेरे बदन में मीठी मीठी गुदगुदी सी होने लगी। फिर मेरी छूत से पानी छूटने लगा।

वो तेज़ी से मेरी छूत में उंगली अंदर बाहर कर रहा था। उसने अब मेरी दूध दबानी शुरू कर दी। मेरा तो अब छूता हाल था, जी में आया कोई अभी कोई मुझे नंगी करके सबके सामने बेदर्दी से होद डाले।

मैं बड़ी बेशर्मी से उसका साथ दे रही थी।

फिर उस लड़के ने अपना हंड पैंट से बाहर निकाल लिया और मेरी स्कर्ट ऊपर कर के उसे मेरी छूत पर रगड़ने लगा। मैं अपने हुतड़ आगे पीछे कर के उसे पूरा सहयोग दे रही थी, वो मेरी गर्दन पर किस कर रहा था।
भीड़ होने की वजह से किसी को कुछ भी पता नहीं चला।

वो मेरी छूत पर अपना हंड रगड़ते हुए मेरी दूध दबा रहा था और मेरी गर्दन पर किस भी कर रहा था। मेरी छूत से दो बार पानी छूट गया।

अचानक मेरी छूत के मुहाने पर उसके हंड से एक पिचकारी निकली। वो जोर जोर से मेरी छूत के ऊपर से धक्के लगाने लगा, बस के धक्के भी हमारा साथ दे रहे थे।

मैं वासना की चरम सीमा पर थी कि अचानक स्टैंड आया और बहुत सारे लड़के बस से बस से उतर गये।
मैं घबरा कर अलग खड़ी हो गई, वो लड़का भी अपना हंड पैंट में डाल कर अलग खड़ा हो गया।

अगला स्टॉप मेरा था, मैं बस के दरवाज़े पर चली गई।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मेरा चेहरा फक हो गया – वो लड़का और कोई नहीं, मेरा सगा भाई मनीष था।

मनीष भी मुझे देखकर भौंचक्का सा रह गया, उसके भी चेहरे का रंग उड़ गया। वो चुपचाप पीछे के दरवाज़े से बस से नीचे उतर गया। मैं भी अगले दरवाज़े से नीचे उतर आई और देखा कि मेरा भाई जा चुका था।

मुझे तो जैसे काटो तो खून नहीं! मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा कि ‘हाय राम अब क्या होगा? मैं घर कैसे जाऊँगी? कैसे अपने भाई से नजरें मिला पाऊँगी?
क्या जवाब दूँगी जब वो पूछेगा कि बिना पेंटी पहने बस में क्यों चढ़ी थी?

यह सोचते सोचते मैं धीरे धीरे घर की तरफ चल दी। मैं बहुत परेशान हो गई और यह सोच सोच कर मेरा छूता हाल था कि मेरे ही सगे भाई के साथ मैंने ऐसा  कर लिया।
और मनीष मेरे बारे में क्या सोचता होगा? हाय भगवान, अब मैं क्या करूँ?

जैसा कि मैं पहले लिख चुकी हूँ, मेरे मम्मी पापा दोनों प्राइवेट नौकरी करते हैं इसलिए हम सबके पास घर की एक एक चाबी रहती थी। मैं जब घर पंहुची तो देखा घर पर ताला लगा हुआ था।

मैंने कांपते हाथों से ताला खोला और डरते डरते घर में घुसी। भाई घर पर नहीं था, वो कपड़े बदल कर बाहर दोस्तों से मिलने चला गया था।
मैंने राहत की सांस ली, मैं अपने कमरे में गई और कपड़े बदलने लगी। मैंने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए और नंगी होकर शीशे के सामने खड़ी हो गई।

मैंने देखा कि मेरा और मेरे भाई का रस मेरी टांगों तक बह कर सूख चुका था, मेरी छूत अभी तक गीली थी। मैंने अपने पूरे नंगे बदन को निहारा।
मैं बला की खूबसूरत थी… मेरी छोटी छोटी सेब के साईज की दूध तन गई और गुलाबी निप्पल भी खड़े हो गये। मेरी बिना बालों की चिकनी छूत में फिर से सुरसुरी होने लगी।

बस का हादसा याद आने से मैं फिर से उत्तेजित होने लगी, मुझे अपने भाई का खड़ा हुआ हंड अपनी छूत पर महसूस हो रहा था। पहली बार मेरी छूत पर किसी हंड का स्पर्श हुआ था। मेरा मन कर रहा था कि कोई मुझे बाँहों भर कर भींच ले और जी भर कर मुझे चूमे चाटे।

मैं अपनी दूध सहलाने लगी और अपनी छूत में उंगली करने लगी।

मैंने घर का दरवाजा बंद कर रखा था और किसी के आने का डर नहीं था। मैं अपने बेड पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर जोर जोर से अपनी छूत में उंगली करने लगी।

तभी मेरी कल्पना में मेरा भाई आ गया, मुझे लगा कि मेरा भाई मुझे होद रहा है और उसका मोटा हंड मेरी छूत में अन्दर बाहर हो रहा है।
मैं यह सोचते ही छूती तरह से झड़ गई।

इसके बाद मुझे अपने पर बड़ी शर्म आई, मैं निढाल सी कुछ देर तक बेड पर लेटी रही।
फिर मैं उठी, नहाई और ड्राईंग रूम में जाकर टीवी देखने लगी।

रात को खाना खाकर हम अपने अपने कमरों में सोने चले गये। आज मैंने अपने कमरे को अन्दर से बंद नहीं किया था। मेरा मन था कि भाई आये और हम ढेर सारी बातें करें।

रात के करीब तीन बजे मेरा भाई आया और मेरी दूध सहलाने लगा। मैं चुदाई से थक कर सो चुकी थी, उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था।
अलसाते हुए मैंने पूछा- क्या भाई, मन नहीं भरा क्या?
भाई मेरी दूध दबाता हुआ बोला- तुझे तो होदने का मन ही नहीं कर रहा है। जब से मैंने तेरे साथ पहली बार बस में अधूरा फैंस किया था, तभी से तू मेरे दिल में बस गई!


मैंने शर्माते हुए अपने भाई के सीने में अपना चेहरा छुपा लिया और बोली- भाई, क्यों मजाक करते हो?
भाई बोला- यह मजाक नहीं, हकीकत है मेरी रानी!

मैंने उसका हंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मैं बोली- हाय राम, यह कितना बड़ा है!
मनीष- आज से यह तेरा है! चल उतार सारे कपड़े और नंगी हो जा!
मैं- भाई, आप खुद ही उतार दो ना?

फिर भाई ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे चूमने लगा।

भाई के हंड की कल्पना करके उंगली से छूत होदन करने की खुमारी अभी बाकी थी, मेरा भाई मेरे बदन के हर हिस्से को चूम और चाट रहा था।
मैं वासना से भर गई और उसके बाल सहलाने लगी।

भाई ने मुझे उठाया और ड्रेसिंग टेबल के सामने ले आया। वो मुझे पीछे से जकड़ कर मेरे तने हुए निप्पल सहला रहा था और मेरी गर्दन पर किस कर रहा था।

उसने मुझे झुकाया और पीछे से मेरी गांड पर अपना हंड दबाने लगा।
मैं- क्या कर रहे हो भाई?
भाई- चल घोड़ी बन जा, मैं पीछे से तेरे पीछे से अंदर डालूँगा।
मैं घबराती हुई- ना भाई, पीछे से मत करना, बहुत दर्द होगा!
भाई प्यार से मेरे हुतड़ सहलाते हुए- मेरी जान, घबरा मत, पीछे से तेरी रसीली छूत में डालूँगा, गांड में नहीं!

मैं निश्चिन्त हो कर ड्रेसिंग टेबल के सामने झुक गई और अपनी दोनों टाँगें खोल दीं ताकि मेरे प्यारे भाई का मोटा हंड आसानी से मेरी नाजुक छूत के अंदर चला जाए।

भाई ने अपने हंड पर थूक लगाया और पूरा का पूरा मेरी कमसिन छूत में पेल दिया।
मैं आनन्द से कराह उठी, मेरी साँसें तेज़ चलने लगीं और मेरा चेहरा वासना से लाल हो गया।

मैंने सामने शीशे में अपने भाई को देखा और मुस्कुरा दी। भाई ने भी मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और आँख मार दी, उसने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

मेरे बाल बार बार मेरे चेहरे के आगे आ जाते थे, मेरे भाई ने मेरे बाल पकड़ लिए और फिर पीछे से मुझे जोर जोर से होदने लगा। आह… इस पोज़ में चुदने से मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मेरे भाई का हंड सटासट मेरी छूत में अंदर बाहर हो रहा था, भाई ने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े हुए थे और दूसरे हाथ से वो मेरी दोनों दूध एक एक करके मसल रहा था।
मैं ड्रेसिंग टेबल पर झुकी हुई थी, मैंने सर उठा के देखा, मेरे भाई का चेहरा वासना से लाल था और उसकी आँखें आनन्द से बंद थीं, लग रहा था कि उसे अपनी बहन को होदने में असीम सुख मिल रहा था।

फिर मैंने अपना चेहरा देखा, एकदम सुर्ख लाल और हर झटके पर मेरे मुहं से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी आवाजें निकल रही थीं। अचानक मैंने महसूस किया कि भाई नें धक्कों की गति बढ़ा दी है। मेरी छूत तो उसी वक्त पनिया गई पर भाई लगातार मेरी नन्ही सी छूत पेलता चला गया। मेरी छूत के रस से उसके हंड का रास्ता और चिकना हो गया था।

फिर थोड़ी ही देर में मेरे भाई का हंड भी झड़ गया। मैंने अपने भाई के वीर्य की गर्म गर्म बूँदें अपनी छूत में महसूस की तो मुझे भी बहुत मजा आया।

झड़ने के बाद भी भाई बहुत देर तक मेरी छूत में धक्के लगाता रहा और मैं भी अपनी गोरी गांड हिला हिला के अपने भाई का साथ तब तक देती रही जब तक वो निढाल हो कर ऊपर नहीं झुक गया।

उसका हंड अब सिकुड़ कर मेरी गीली छूत से बाहर आ गया। हम लोग थक हार कर नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये।

सुबह मैं उठी तो मेरे शरीर की थकान भरपूर नींद की वजह से उतर चुकी थी। मेरा भाई बेखबर मेरी बगल में नंगा सोया हुआ था।

मैं आहिस्ता से उठी और बाथरूम में नहाने चली गई

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